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Monday, 6 August 2012

* जब भी उसका ख्याल आता है,
जाने चैन कहाँ जाता है ?
नींद उड़ जाती है पंख लगाकर ,
सब्र-ओ- करार कहाँ आता है ।।

इन बेचैनियों का सबब  कौन जाने ,
उसकी निशानियों को कौन पहचाने ,
एक याद ही नहीं करती बेकरार,
शैतानियों का असर कहाँ जाता है ।।

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