* जब भी उसका ख्याल आता है,
जाने चैन कहाँ जाता है ?
नींद उड़ जाती है पंख लगाकर ,
सब्र-ओ- करार कहाँ आता है ।।
इन बेचैनियों का सबब कौन जाने ,
उसकी निशानियों को कौन पहचाने ,
एक याद ही नहीं करती बेकरार,
शैतानियों का असर कहाँ जाता है ।।
जाने चैन कहाँ जाता है ?
नींद उड़ जाती है पंख लगाकर ,
सब्र-ओ- करार कहाँ आता है ।।
इन बेचैनियों का सबब कौन जाने ,
उसकी निशानियों को कौन पहचाने ,
एक याद ही नहीं करती बेकरार,
शैतानियों का असर कहाँ जाता है ।।
अच्छी रचना..
ReplyDelete