सीमा राजपूत "परी"
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Monday, 12 March 2012
*हमको भी कहाँ नींद आती है,
तेरी खातिर ही जगा करते हैं ,
ना जाने कब तेरी नींद खुल जाये
और हम सो रहे हों ? सीमा राजपूत
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